Sunday 15 December 2013

प्रतिभा परिस्थिति की मोहताज नहीं होती Talent does not go with the Situation

Talent does not go with the Situation


Says the situation does not go with the talent , and this is proved by Sadhuwali Nimiwal Laxman Singh . 
Laxman win a Gold in Swimming Competition at state level at Bikaner with his hard work.  He donesn't have good facility for that but he practice in Baramasi Nahar(canal)   

कहते है प्रतिभा परिस्थिति की मोहताज नहीं होती, और यहीं साबित कर दिखाया है साधुवाली के लक्ष्मण सिंह निमिवाल ने। तमाम परशानियो और अभावो के बावजूद स्वर्ण पदक हासिल कर, जिले का नाम किया है रोशन 
श्रीगंगानगर। लक्ष्मण सिंह निमिवाल की सफलता से उसके दोस्त और परिजन तो उत्साहित हैं लेकिन प्रशासन द्वारा इस होनहार खिलाड़ी की अनदेखी के चलते चिंतित भी है! लक्ष्मण सिंह के पिता सूरज प्रकाश निमिवाल एक मजदूर है व मजदूरी कर किसी तरह ही घर का गुजारा चला रहे है! किंतु वे लक्ष्मण सिंह की तैयारियों में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं आने देते, चाहे उन्हें इसके लिए कुछ भी करना पड़े! इसमें उनकी धर्मपत्नी सुरजीत कौर उनका भरपूर साथ देती है! चार भाई बहनों में सबसे छोटा लक्ष्मण सिंह सबका दुलारा है! सभी भाई बहन लक्ष्मण की सफलता के लिए दुआ करते है, लेकिन प्रशासन द्वारा किसी प्रकार की कोई मदद ना मिलने पर बेहद उदास हो जाते है! बताते चले कि लक्ष्मण सिंह एमडी कॉलेज का होनहार छात्र है, व बीकॉम फाइनल में पढ़ रहा है, जिसने बीकानेर में हुई तैराकी की राज्य स्तरीय स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता है, एवम पिछले वर्ष दो स्वर्ण और एक रजत पदक जीते थे!
यह जीत इस लिए अधिक महत्त्व रखती है कि जिला खेल अधिकारी, जिला कलेक्टर सहित सभी सम्बन्धित अधिकारियों के चक्कर काटने के बाद भी इस खिलाड़ी को किसी प्रकार की मदद नहीं मिली! इस पर जिला खेल अधिकारी कहते है कि उन्हें किसी प्रकार का कोई बजट नहीं दिया जाता! इस लिए हम इन खिलाडियों की कोई मदद नहीं कर सकते! आपको यह जानकार हैरानी होगी कि लक्ष्मण सिंह निमिवाल ने अपनी तैयारी किसी तरणताल में नहीं बल्कि साधुवाली की खतरनाक, जानलेवा बारहमासी नहर में की है, क्योकि तरणताल में तैयारी करने में चालीस रुपये रोज का खर्चा है, जो कि यह गरीब परिवार वहन नहीं कर सकता! ऐसे में सबसे बड़ा सवालिया निशान उन खेल संघों और उनके निक्कमे अधिकारियों पर उठता है, जिनके स्वयं की अय्याशियो के खर्चे लाखो में है! इन नकारा लोगो को आखिर लक्ष्मण सिंह निमिवाल जैसे खिलाड़ी दिखाई क्यों नहीं देते, कुलमिलाकर लब्बोलुआब ये है कि इस खिलाड़ी की उपलव्धि पर खुद की पीठ थपथपाने वाले संघ, प्रशासन व इनसे जुड़े अन्य लोग सिर्फ अपना उल्लू सीधा कर रहे है, उन्हें खेल और खिलाडियों से कोई लेना देना नहीं है! खुद इनका पेट भरे तो इस गरीब को डाईट के नाम पर एक दाना मिले! 

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